दिये जल उठे
दिये
जल उठे
प्रश्न 1. किस कारण से प्रेरित हो
स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया ?
उत्तर – अहमदाबाद के आंदोलन के समय
पटेल ने स्थानीय कलेक्टर शिलिडी को भागा दिया था। इसी बात का बदला लेने के लिए कलेक्टर
शिलिडी ने पटेल को निषेधाज्ञा के उल्लंघन के आरोप में गिरफ़्तार करने का आदेश दिया
।
प्रश्न 2. जज को पटेल की सज़ा के लिए
आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट करें ।
उत्तर – जज को समझ ही नहीं आ रहा था
कि पटेल को किस धारा के तहत कितनी सज़ा दी जानी चाहिए । चूंकि पटेल ने कोई अपराध
नहीं किया था , जिसके लिए उन्हें सज़ा होनी चाहिए थी । इसलिए जज
को आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा लगा ।
प्रश्न 3. “मैं चलता हूँ । अब आपकी बारी है”। - यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धत पाठ के संदर्भ में कहा ?
उत्तर – सरदार पटेल को तीन महीने की
जेल हुई । इसके लिए उन्हें बोरसद से साबरमती जेल ले जाया जा रहा था । रास्ते में
गांधी जी का आश्रम पड़ता था । पटेल के आग्रह पर गाड़ी रोक दी गई और पटेल
आश्रमवासियों से सड़क पर ही मिले । सड़क पर ही गाँधी जी से भी उनकी बातचीत हुई
जिसमें उन्होने गाँधी जी से यह बात कही । वे स्पष्ट करना चाहते थे कि वे तो जेल जा
रहे हैं और अब स्वाधीनता की लड़ाई की जिम्मेवारी उनकी है ।
प्रश्न 4. “इनसे आप लोग त्याग और
हिम्मत सीखें” । - गाँधी जी ने यह किसके लिए औरकिस संदर्भ में कहा ?
उत्तर – गाँधी जी एक बार रास गए । वहाँ
उनका भव्य स्वागत हुआ । वहाँ सबसे आगे रास लोग रहते हैं जो दरबार कहलाते हैं । एक
तरह से ये राजा ही होते हैं । ये रियासत के मालिक होते हैं । गोपालदास और रविशंकर
महाराज जो दरबार थे , वहाँ मौजूद थे । ये दरबार लोग अपना
सब कुछ छोड़कर यहाँ आकर बस गए थे । उनका यह त्याग एवं हिम्मत सराहनीय है । गाँधी जी
ने इन्हीं के जीवन से प्रेरणा लेने को लोगों से कहा कि इनसे आप लोग त्याग और
हिम्मत सीखें ।
प्रश्न 5. पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध
होता है कि – ‘कैस भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया
जा सकता है ‘ । अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर – गाँधी जी अपनी दांडी यात्रा
पर थे । उन्हें मही नदी पार करनी थी । ब्रिटिश सरकार ने नदी के तट के सारे नमक
भंडार हटा दिए थे । वे अपनी यह यात्रा किसी राजघराने के इलाके से नहीं करना चाहते
थे । जब वे कनकपुरा पहुँचे तो एक घंटा देर हो गई । इसलिए गाँधी जी ने कार्यक्रम
में परिवर्तन करने का निश्चय किया कि नदी को आधी रात में समुद्र में पानी चढ़ने पर
पार किया जाए ताकि कीचड़ और दलदल में कम से कम चलना पड़े । तट पर अंधेरा था । इसके
लिए लोगों ने सूझबूझ से काम लिया और थोड़ी ही देर में हजारों दिये जल गए , जिससे अंधेरा मिट गया । दूसरे किनारे भी इसी तरह लोग हाथों में दिए लेकर
खड़े थे । इस प्रकार कठिन परिस्थिति में सूझबूझ से काम लिया और उसका सामना किया । गाँधी
जी को रघुनाथ काका ने नावों में बैठकर नदी पार करा दी ।
प्रश्न 6. महीसागर नदी के दोनों
किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था ?अपने शब्दों में लिखें ।
उत्तर – महीसागर नदी के दोनों
किनारों पर हजारों लोग अपने हाथों में जलते दिये लेकर खड़े थे, क्योंकि वे गाँधी जी का और उनके साथियों का इंतज़ार कर रहे थे । उस समय
अंधेरा था । चारों ओर ‘महात्मा गाँधी की जय, सरदार पटेल की जय, और जवाहर लाल नेहरू की जय के नारे गूंज रहे थे ।
प्रश्न 7. “यह धर्म यात्रा है ।
चलकर पूरी करूंगा”। - गांधी जी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है ?
उत्तर – गाँधी जी ने दांडी यात्रा को धर्म
यात्रा का नाम दिया । रास्ते में कंकरीली, रेतीली सड़कें
पड़ेंगी । इसीलिए लोगों ने गाँधी जी से आधी यात्रा कार से करने का आग्रह किया । परंतु
गाँधी जी ने मना कर दिया और कहा धर्म यात्रा में निकलने वालेकिसी वाहन का प्रयोग
नहीं करते । इसी प्रकार मही नदी के तट पर करीब चार किलोमीटर दलदली ज़मीन पर गाँधी
जी को चलना पड़ा । लोगों ने उन्हें कंधे पर उठाने की सलाह दी पर गाँधी जी ने कहा यह
धर्म यात्रा है । चलकर पूरी करूंगा । इस कथन से गाँधी जी के साहस, देशप्रेम, कष्ट सहने की क्षमता आदि गुणों का पता
चलता है ।
प्रश्न 8. गाँधी को समझने वाले
वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत थे कि गाँधी कोई काम अचानक और चुपचाप से करेंगे । फिर भी
उन्होने किस दर से और क्या एहतियाती कदम उठाए ?
उत्तर - गाँधी जी को समझने वाले
वरिष्ठ अधिकारियों का मानना था कि वे अचानक चुपके से कोई काम नहीं करते, क्योंकि वे सत्य व निष्ठा को मानने वाले व्यक्ति थे । फिर भी ब्रिटिश
सरकार कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती थी । इसीलिए एहतियाती तौर पर नदी टाटा से सारे
नमक भंडार हटा दिए गए और उन्हें नष्ट कर दिया गया ।
प्रश्न 9. गाँधी जी के पार उतरने पर
भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े थे ?
उत्तर - गाँधी जी के पार उतरने पर
भी लोग नदी तट पर खड़े रहे क्योंकि सत्याग्रहियों को भी , जो गाँधी जी के साथ थे ,पार जाना था और वे कुछ
लोगों का इंतज़ार कर रहे थे , जिन्हें नदी पार करानी होगी ।
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